अंतराष्ट्रीय मज़दूर दिवस २०१८
ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले । हम हिन्द के रहने वालों की, महकूमों की मजबूरों की आज़ादी के मतवालों की दहक़ानो की मज़दूरों की ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले । सारा संसार हमारा है, पूरब पच्छिम उत्तर दक्कन हम अफ़रंगी हम अमरीकी हम चीनी जांबाज़ाने वतन हम सुर्ख़ सिपाही जुल्म शिकन, आहनपैकर फ़ौलादबदन । ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले । वो जंग ही क्या वो अमन ही क्या दुश्मन जिसमें ताराज न हो वो दुनिया दुनिया क्या होगी जिस दुनिया में स्वराज न हो वो आज़ादी आज़ादी क्या मज़दूर का जिसमें राज न हो । ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले । लो सुर्ख़ सवेरा आता है, आज़ादी का आज़ादी का गुलनार तराना गाता है, आज़ादी का आज़ादी का देखो परचम लहराता है, आज़ादी का आज़ादी का । ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले । मख़दूम मोहिउद्दीन की ये पंक्तियाँ आज मज़दूर दिवस पर याद करने से ज़्यादा समझने के ज़रूरत है।- "हिंदुस्तान एक आज़ाद देश बहुत तकलीफों से उभर कर बना है, पर इस देश में कड़ोड़ो मज़दूर आज़ाद नहीं है इन मज़दूरों की भागी दारी आज़ा...